कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए केन्द्राध्यक्ष डॉ. धर्म नाथ झा ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि हमें मछली पालन को बढ़ावा देना है और अपनी आय को दोगुना करना है। उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन आज एक सफल लद्युउद्योग के रूप में स्थापित हो रहा है। नई-नई टेकनॉलॉजी इस क्षेत्र में क्रांति ला दी है। आज भारत मत्स्य उत्पादन क्षेत्र में दूसरे स्थान पर है। हमारे देश में मछली पालन में सबसे पहला स्थान आंध्रप्रदेश का आता है । उसके बाद पश्चिम बंगाल और गुजरात का स्थान आता है। जनसंख्या वृदिृध के अनुपात में खाद्यान्यों के उत्पादन में पर्याप्त वृध्दि नहीं हो रही है। हमारे भोजन में मछली की विशेष उपयोगिता है। मीठे पानी के मछली में कार्बोहाइड्रेट बहुत कम होती है और इसका प्रोटीन शीघ्र पचने वाला होता है। वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन कर अधिक मुनाफा कमा सकते है। अगर मछली पालन व्यवसाय की तरह शुरू करना चाहते है तो सारी जानकारी इस प्रशिक्षण् द्वारा दी जाएगी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 28 अगस्त, 2023 को समाप्त हुआ। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. बसन्त कुमार दास ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि जो प्रशिक्षण दिया जा रहा है उसका सभी मत्स्य व्यवसायों, मछुआरों, अध्यापकों तथा शोधार्थियों को लाभ लेना चाहिए। इससे निश्चित उनकी आय दोगुनी होगी। उन्होंने बताया कि हमें समय पर मछली का बीज तालाबों में डालना है और उसकी देखभाल करना है ताकि मछलियों को कोई बीमारी या रोग तो नहीं हो रहा है। केन्द्राध्यक्ष डॉ. धर्म नाथ झा ने कहा कि वह सभी प्रशिक्षणार्थियों को हमेशा सहयोग और मार्गदर्शन के लिए उनके साथ हैं। अंत में सभी प्रशिक्षणाथिार्यों के बीच प्रमाण-पत्र का वितरण किया गया। धन्यवाद ज्ञापन के साथ प्रशिक्षण समाप्त हुआ।