संस्थान के निदेशक डॉ. बि.के. दास, और डॉ. बी.के. बेहरा, डीन (सीओएफ, झाँसी) ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया और जलीय कृषि के प्रमुख क्षेत्रों को संबोधित करने के लिए पूर्वानुमानित पारिस्थितिकी और मत्स्य पालन में जैव सूचना विज्ञान अनुप्रयोगों की आवश्यकता पर जोर दिया। डॉ. बि .के. दास ने इस बात पर जोर दिया कि पिछले दशक में आणविक जैविक डेटा के लिए विश्लेषणात्मक तकनीकों की उन्नति के लिए एक बड़ा प्रयास किया गया है। इसने कई नए एल्गोरिदम को जन्म दिया है जो कि जीन अभिव्यक्ति और प्रोटीन इंटरैक्शन जैसी जैविक घटनाओं से जुड़े डेटा से निपटने के लिए विशिष्ट हैं।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में, पारिस्थितिकी और मत्स्य पालन डेटा के अनुप्रयोग के साथ-साथ उनकी 'क्रॉसओवर क्षमता' के साथ नवीन जैव सूचना विज्ञान उपकरणों पर जानकारी दी गई। विशेष रूप से, उन मॉडलों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया जो कार्यात्मक पतन की भविष्यवाणी करने के लिए विभिन्न मछली समुदायों में कार्यात्मक रूप से समकक्ष प्रजातियों की पहचान करते हैं। एरिजोना विश्वविद्यालय (यूएसए), उदयन विश्वविद्यालय (इंडोनेशिया), चाइनीज एकेडमी ऑफ लाइफ साइंसेज (चीन), ईएसपीओएल (इक्वाडोर), मणिपाल स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज, ओयूएटी, न्यूक्लियोम इंफॉर्मेटिक्स और बायोएक्सप्लोर लैब्स (भारत) के विभिन्न अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विशेषज्ञ को व्याख्यान देने और जैव सूचना विज्ञान की विभिन्न तकनीकों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण देने के लिए आमंत्रित किया गया था।
प्रतिभागियों को एनजीएस और प्रोटीन मॉडलिंग के विशेष संदर्भ में सार्वजनिक डेटाबेस, जीनोम ब्राउज़र, अनुक्रम पुनर्प्राप्ति, फ़ाइल प्रारूप, ब्लास्ट विश्लेषण, प्राइमर डिजाइनिंग और अनुक्रमण प्लेटफार्मों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया गया। कार्यशाला में वर्धबान विश्वविद्यालय, विद्यासागर विश्वविद्यालय, के.आर.सी. आईसीएआर-सीआईबीए और मत्स्य पालन कॉलेज, ढोली के संकाय, के स्नातक और स्नातकोंत्तर छात्रों, शोधकर्ताओं ने भाग लिया। निदेशक डॉ. बि.के. दास के मार्गदर्शन में डॉ. विकाश कुमार और डॉ. सुभ्रा रॉय ने कार्यशाला का संचालन किया।