इस कार्यक्रम में 30 मछुआरों ने भाग लिया। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक श्री जी अशोक कुमार ने नमामि गंगे पहल के लक्ष्यों का अवलोकन किया और इसकी हालिया उपलब्धियों पर जोर दिया। उन्होंने भविष्य में आने वाली कठिनाइयों का भी जिक्र किया। आईसीएआर-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफ़री) के निदेशक, तथा प्रधान अन्वेषक डॉ. बसंत कुमार दास ने नमामि गंगे मछली संरक्षण कार्यक्रम के पिछले चरण की उपलब्धियों की समीक्षा की और हालिया गतिविधियों पर अपडेट दिया। यह रेखांकित किया गया कि देशी मछली प्रजातियों की विविधता की रक्षा के लिए गंगा नदी प्रणाली को स्वस्थ रखना कितना महत्वपूर्ण है।
डॉ. दास ने एनएमसीजी चरण I और II के व्यापक कार्य और उल्लेखनीय उपलब्धियों का विवरण दिया। इनमें मछली विविधता का सर्वेक्षण करना, हिल्सा जैसी आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण प्रजातियों के स्टॉक का आकलन करना, विशेष प्रकार की मछली के जर्मप्लाज्म से बीज का उत्पादन करना और सूखी नदी क्षेत्रों में पशुपालन कार्यक्रमों को क्रियान्वित करना शामिल है। उन्होंने तीसरे चरण के विकास की वर्तमान स्थिति के बारे में कुछ जानकारी भी प्रदान की। इस आयोजन का सफल क्रियान्वयन गंगा नदी के सतत भविष्य को मजबूत कर सकता है।