आईसीएआर-सिफ़री द्वारा गंगा पूजा और संरक्षण हेतु सर पुंटी रेंचिंग
बैरकपुर , 11 फरवरी, 2024
आईसीएआर-सिफ़री, बैरकपुर ने गंगा नदी की जलज संपदा को संरक्षित और पुनर्जीवित करने के लिए 'नमामि गंगे' मिशन के हिस्से के रूप में बैरकपुर में नदी रेंचिंग प्रोग्राम-2024 आयोजित किया। कार्यक्रम की शुरुआत पवित्र गंगा आरती से हुई। श्री जी. अशोक कुमार, आईएएस, महानिदेशक, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जलशक्ति मंत्रालय, भारत सरकार; एनएमसीजी में वरिष्ठ जैव विविधता सलाहकार डॉ. संदीप बेहरा; श्री सौरव बारिक, एसडीओ, बैरकपुर; परियोजना के प्रधान अन्वेषक और सिफ़री के निदेशक डॉ. बसंत कुमार दास और अन्य परियोजना टीम के सदस्य और अधिकारीगण इस अवसर पर उपस्थित थे। इसकी शुरुआत दु पोईसा घाट, बैरकपुर, पश्चिम बंगाल से हुई। नदी में मत्स्य संरक्षण के लक्ष्य की पूर्ति हेतु 1,00,000 देशी सरना (सर पुंटी) को गंगा नदी में छोड़ा गया।

इस कार्यक्रम में 30 मछुआरों ने भाग लिया। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक श्री जी अशोक कुमार ने नमामि गंगे पहल के लक्ष्यों का अवलोकन किया और इसकी हालिया उपलब्धियों पर जोर दिया। उन्होंने भविष्य में आने वाली कठिनाइयों का भी जिक्र किया। आईसीएआर-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफ़री) के निदेशक, तथा प्रधान अन्वेषक डॉ. बसंत कुमार दास ने नमामि गंगे मछली संरक्षण कार्यक्रम के पिछले चरण की उपलब्धियों की समीक्षा की और हालिया गतिविधियों पर अपडेट दिया। यह रेखांकित किया गया कि देशी मछली प्रजातियों की विविधता की रक्षा के लिए गंगा नदी प्रणाली को स्वस्थ रखना कितना महत्वपूर्ण है।

डॉ. दास ने एनएमसीजी चरण I और II के व्यापक कार्य और उल्लेखनीय उपलब्धियों का विवरण दिया। इनमें मछली विविधता का सर्वेक्षण करना, हिल्सा जैसी आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण प्रजातियों के स्टॉक का आकलन करना, विशेष प्रकार की मछली के जर्मप्लाज्म से बीज का उत्पादन करना और सूखी नदी क्षेत्रों में पशुपालन कार्यक्रमों को क्रियान्वित करना शामिल है। उन्होंने तीसरे चरण के विकास की वर्तमान स्थिति के बारे में कुछ जानकारी भी प्रदान की। इस आयोजन का सफल क्रियान्वयन गंगा नदी के सतत भविष्य को मजबूत कर सकता है।







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