कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए सिफ़री के निदेशक डॉ. बि.के. दास ने मछुआरों की स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने के लिए अन्तर्स्थलीय मत्स्य प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर कौशल विकास पर जोर दिया। उन्होंने मछुआरों से वैज्ञानिक ज्ञान और अनुप्रयोग प्राप्त करके उत्पादन और उत्पादकता के लिए उनके पास उपलब्ध संसाधनों का सही उपयोग करने का आग्रह किया। प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के दौरान, किसानों को अन्तर्स्थलीय मत्स्य प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं जैसे प्रेरित प्रजनन, मिश्रित मछली पालन, नर्सरी प्रबंधन, मछली रोग प्रबंधन, चारा प्रबंधन, प्राकृतिक मछली खाद्य जीव, जल गुणवत्ता प्रबंधन, सजावटी मछली पालन आदि पर प्रशिक्षित किया गया। इसके अलावा, किसानों को निम्नलिखित क्षेत्रों का दौरा भी कराया गया: हलिसहर मछली बीज फार्म, सजावटी मछली बाजार, पूर्वी कोलकाता आर्द्रभूमि (ईकेडब्ल्यू), आईसीएआर-सीआईएफई, कोलकाता केंद्र, आईसीएआर-सीआईएफए, कल्याणी मछली फार्म आदि। इसके अलावा, सिफ़री के सजावटी हैचरी इकाइयों और फ़ीड मिल में उन्हें व्यावहारिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराया गया।
समापन सत्र में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, संस्थान के निदेशक डॉ. बि.के. दास ने प्रतिभागियों को मत्स्य पालन से संबंधित आय सृजन और लाभ देने वाली गतिविधियों में संलग्न होने पर जोर दिया। फीडबैक सत्र में प्रशिक्षुओं ने अपने ज्ञान की उन्नति को स्वीकार किया और समग्र संतुष्टि व्यक्त की । प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन डॉ. बि .के. दास के नेतृत्व में किया गया। डॉ. अपर्णा रॉय और डॉ. सुव्रा रॉय ने श्री सुजीत चौधरी, श्री मनबेंद्र रॉय, डॉ अविषेक साहा और सुश्री सदरूपा भौमिक की तकनीकी सहायता से कार्यक्रम का समन्वय किया । इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से प्रतिभागियों द्वारा कुशल मत्स्य प्रबंधन के माध्यम से अपनी पारिवारिक आय बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है।