उन्होंने वैश्विक मछली उत्पादन और देश की कृषि जीडीपी में भारत के योगदान और रुपये की पर्याप्त विदेशी मुद्रा सृजन पर संतोष व्यक्त किया। हर साल मछली और संबंधित उत्पादों के निर्यात से 63,969 करोड़ रु. मंत्री का विदेशी आय सृजन होता है अतः भावी अनुसन्धान मछुआरों की ज़रूरत पर आधारित होना चाहिए; वैज्ञानिक समुदायों के लिए एक शीर्ष मंच प्रदान करना चाहिए चाहिए; मत्स्य पकड़ पश्चात के नुकसान को कम करने के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास; आकर्षक स्लोगन के साथ स्मार्ट और डिजिटल मार्केटिंग; मछली पालन के लिए "अमृत सरोवर" का कुशल उपयोग; देश में मत्स्य विकास केंद्र (एमवीके) की स्थापना। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह सम्मेलन सभी हितधारकों को मछली उत्पादन और किसानों की आय बढ़ाने के लिए सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में भारतीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि को बढ़ावा देने के लिए अपने विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव और आईसीएआर के महानिदेशक (डीजी) डॉ. हिमांशु पाठक ने अपने संबोधन में बताया कि मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र "विकासशील भारत" से "विकसित भारत" की ओर तेजी से बढ़ रहा है जिसमें 10% की सतत विकास दर एक प्रमुख भूमिका है। उन्होंने आनुवंशिक रूप से बेहतर प्रजातियों, स्मार्ट और सटीक पालन पद्धति, उचित नियामक तंत्र और कौशल विकास के साथ पर्यावरण उन्मुख तथा जलवायु-अनुकूल मत्स्य पालन क्षेत्र पर जोर दिया।
डॉ. जॉयकृष्ण जेना, उप महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान), आईसीएआर ने प्रदूषण मुक्त, टिकाऊ और लाभदायक मत्स्य पालन, इसकी संभावित क्षमता और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान के भावी संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने अमृतकाल के लिए एक व्यावहारिक रोडमैप के साथ उच्च उत्पादन के लिए कृषि क्षेत्रों के बीच संसाधनों के विवेकपूर्ण वितरण हेतु आग्रह किया।
डॉ. बसंत कुमार दास, निदेशक, आईसीएआर-सिफरी ने स्वागत सम्बोधन में इस फोरम के विशाल कार्यक्रम की एक रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने यह कहा कि इस फोरम के माध्यम से मात्स्यिकी क्षेत्र की प्रगति तथा भावी योजनाओं पर वैज्ञानिक चर्चा के अलावा, जलवायु परिवर्तन, लैंगिक समानता, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक उत्थान, मत्स्य पालन क्षेत्र में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर जैसे ज्वलंत और सार्थक मुद्दों पर विविध सम्मेलन के साथ-साथ विशेष व्याख्यान, उद्योग और कृषक सम्मेलन, उपग्रह संगोष्ठी आदि शामिल हैं।
इस अवसर पर राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न पुरस्कार जैसे प्रो. एचपीसी शेट्टी पुरस्कार, डॉ. टीवीआर पिल्लई पुरस्कार, श्री जे.वी.एच. दीक्षितुलु राष्ट्रीय पुरस्कार, आईएफएसआई फेलो और एएफएसआईबी युवा वैज्ञानिक पुरस्कार प्रदान किए गए। अपने-अपने क्षेत्रों में पुरस्कार विजेता वैज्ञानिकों का योगदान निश्चित रूप से युवा शोधकर्ताओं को प्रेरित करेगा ताकि वे आने वाले वर्षों में मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्रों में अधिक से अधिक योगदान देकर एक नया मानक स्थापित कर सकें ।
इस सम्मेलन में देश के विख्यात वैज्ञानिक, महिला उद्यमी, मछुआरे और मछली किसान, मत्स्य विभाग के अधिकारी, उद्योगपति और छात्र सहित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 1500 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।