आयोजकों ने तीन दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन डॉ. मीना कुमारी, पूर्व डीडीजी (मात्स्यिकी विज्ञान) अध्यक्षता और डॉ. किरण दुबे, एमेरिटस वैज्ञानिक, आईसीएआर-सीआईएफई, मुंबई की सह- अध्यक्षता में इस विषय पर एक विशेष सत्र आयोजित किया। डॉ. निकिता गोपाल, प्रमुख, विस्तार सूचना और सांख्यिकी प्रभाग, आईसीएआर-सीआईएफटी ने "जलीय कृषि और मत्स्य पालन के स्थायी भविष्य के लिए लैंगिक समानता" पर मुख्य व्याख्यान दिया और बताया कि कैसे मत्स्य पालन क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका अदृश्य है।
डॉ. किरण दुबे ने समाज और मत्स्य पालन क्षेत्र में महिलाओं की विविध भूमिका के बारे में जानकारी दी और उनकी आवश्यकता पर प्रकाश डाला। पैनलिस्टों ने क्षेत्र में लैंगिक भूमिकाओं पर अपने विचार और शोध अनुभव भी साझा किए। सम्मेलन में मत्स्य पालन में महिलाओं के लिए उद्यमिता विकास के अवसरों और महिला अनुकूल प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता पर भी चर्चा हुई। सभी इस बात पर सहमत हुए कि लैंगिक मुख्यधारा में लैंगिक रूप से संवेदनशील और सामाजिक रूप से समावेशी नीतियों, कार्यक्रमों के साथ-साथ निगरानी और मूल्यांकन की आवश्यकता है। अध्यक्ष ने उपस्थित वैज्ञानिक कर्मियों से अपने अनुसंधान परियोजनाओं में लिंग अध्ययन को एकीकृत करने का भी आग्रह किया। सत्र में भाग लेने वाली महिला मछुआरों ने खुलकर अपनी कठिनाइयों को व्यक्त किया और इस क्षेत्र की बेहतरी के लिए अपने विचार भी सांझा किए।