मत्स्य पालन क्षेत्र में लैंगिक समानता और महिलाओं की भूमिका पर जोर देना हैं समय की मांग: डॉ. मीना कुमारी, पूर्व डीडीजी (मात्स्यिकी विज्ञान)
बैरकपुर , 23 फरवरी, 2024
23 फरवरी 2024 को 13वें इंडियन फिशरीस और एक्वाकल्चर फोरम में "मत्स्य पालन में महिला सशक्तिकरण" पर एक सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में लगभग 350 मछुआरे महिलाओं के साथ महिला शोधकर्ताएँ और वैज्ञानिकगण उपस्थित थे। यह महसूस किया गया कि उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण और विपणन तक मत्स्य पालन क्षेत्र में लैंगिक समानता और महिलाओं की भूमिका को लेकर आवाज उठाने की आवश्यकता है। इससे पहले, सुबह सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए, भारत सरकार के मत्स्य मंत्री माननीय परषोत्तम रूपाला जी ने महिला मछुआरों के योगदान का विशेष उल्लेख किया और सभा से उनकी कठिनाइयों को कम करने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। तीन दिवसीय इस सम्मेलन (23-25 फरवरी) का आयोजन आईसीएआर- सिफ़री (ICAR-CIFRI) द्वारा एशियन फिशरीज सोसाइटी इंडियन ब्रांच (AFSIB), प्रोफेशनल फिशरीज ग्रेजुएट्स फोरम (पीएफजीएफ), इनलैंड फिशरीज सोसाइटी ऑफ इंडिया (IFSI) के सहयोग से किया गया। विश्व बांग्ला कन्वेंशन सेंटर, कोलकाता में आयोजित यह सम्मेलन माननीय प्रधान मंत्री जी के "विकसित भारत@2047" के दृष्टिकोण में लिया गया कदम हैं।

आयोजकों ने तीन दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन डॉ. मीना कुमारी, पूर्व डीडीजी (मात्स्यिकी विज्ञान) अध्यक्षता और डॉ. किरण दुबे, एमेरिटस वैज्ञानिक, आईसीएआर-सीआईएफई, मुंबई की सह- अध्यक्षता में इस विषय पर एक विशेष सत्र आयोजित किया। डॉ. निकिता गोपाल, प्रमुख, विस्तार सूचना और सांख्यिकी प्रभाग, आईसीएआर-सीआईएफटी ने "जलीय कृषि और मत्स्य पालन के स्थायी भविष्य के लिए लैंगिक समानता" पर मुख्य व्याख्यान दिया और बताया कि कैसे मत्स्य पालन क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका अदृश्य है।

डॉ. किरण दुबे ने समाज और मत्स्य पालन क्षेत्र में महिलाओं की विविध भूमिका के बारे में जानकारी दी और उनकी आवश्यकता पर प्रकाश डाला। पैनलिस्टों ने क्षेत्र में लैंगिक भूमिकाओं पर अपने विचार और शोध अनुभव भी साझा किए। सम्मेलन में मत्स्य पालन में महिलाओं के लिए उद्यमिता विकास के अवसरों और महिला अनुकूल प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता पर भी चर्चा हुई। सभी इस बात पर सहमत हुए कि लैंगिक मुख्यधारा में लैंगिक रूप से संवेदनशील और सामाजिक रूप से समावेशी नीतियों, कार्यक्रमों के साथ-साथ निगरानी और मूल्यांकन की आवश्यकता है। अध्यक्ष ने उपस्थित वैज्ञानिक कर्मियों से अपने अनुसंधान परियोजनाओं में लिंग अध्ययन को एकीकृत करने का भी आग्रह किया। सत्र में भाग लेने वाली महिला मछुआरों ने खुलकर अपनी कठिनाइयों को व्यक्त किया और इस क्षेत्र की बेहतरी के लिए अपने विचार भी सांझा किए।





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